कृष्ण जन्माष्ठमी थी.. फ़ौज में उस दिन मंदिर परेड थी. सब जवान अपने अपने परिवार सहित बहुत श्रद्धा से भजन कीर्तन कर रहे थे.रात ११.३० बजे तक सब ऑफिसर्स भी अपने अपने परिवार सहित मंदिर पहुँच गए..अब चीमटे, मंजीरे व ढोलकी पूरे जोर शोर से बजने लगे.भजन कीर्तन में नया जोश भर गया. १२ बजने में अब कुछ टाइम ही रह गया था..CO साहेब व मेम साहेब पहुंचे नहीं थे. सब लोग इधर उधर देखने लगे..फुसफुसाहट होने लगी.. CO साहेब को इस टाइम तक पहुँच जाना चाहिए था..अब १२ भी बज गए..2IC साहेब के पसीने छूटने लगे. देवकी मैया प्रसव वेदना से छटपटाने लगीं.सबकी नज़र मंदिर के द्वार पे लगी थी..अब CO साहेब आयें तो माता देवकी को इस यातना से छुटकारा मिले..क्यूंकि कृष्णा का जन्म तो उनके आने से पहले हो नहीं सकता, प्रोटोकॉल का सवाल था.. वे पधार कर झूला झुलाएंगे तभी कृष्णा भगवान जन्म लेंगे ना..आखिर ५-७ मिनट के विलम्ब से सीओ साहेब व में साहेब दिखाई दिए..सबने राहत की सांस ली..2IC साहेब ने अपना पसीना पोंछा..आते ही सीओ साहेब ने झूले की रस्सी पकड़ी..माता देवकी की पीड़ा का अंत हुआ..व सब ओर पटाखों की आवाज़ के बीच कृष्णा जी ने जन्म लिया....Poonam Dogra
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