Saturday, August 17, 2013

zara muskura de aye khushi..

                                                                A Short Story
उम्र की ढलान.. फुर्सत ही फुर्सत.. उस बार ईद और तीज दोनों ही इकट्ठे पड़े, एक ही दिन.. सोचा चलो बच्चों के लिए खीर बनाकर भेज दी जाए.. सो खीर बना मधु अन्दर बेडरूम में आकर लेट गयी.. BP शायद ज्यादा रहा होगा ..सर कुछ भारी था..करेले काट कर रक्खे थे की बाद में बना लुंगी.. सुधीर बोले ,"तुम आराम करो आज मैं बना दूंगा". करेले उन्हें अपने हाथ के ही अच्छे लगते हैं.. क्यूँ नहीं, जब आधा गैलन तेल में त...ले जायेंगे तो स्वाद तो आयेगा ही.. वो कहते हैं न, 'घी बनाये बैंगना, नाम बहु का होए'.. मधु तो परहेज़ से ही बनाती है न. अब उम्र के इस दौर में परहेज़ न करेंगे तो क्या करेंगे.. डायबिटीज भी तो महामारी सी ४० पार होते ही दबोच लेती है..

मधु आँख बंद किये लेटी थी..रसोई से जो लगातार करछुल की आवाज़ आ रही थी, वह अब शांत थी.. लगता है, सब्जी चढ़ा दी है और अब टीवी देख रहे हैं.. अचानक याद आया 'हाय मैंने खीर बनाकर यूं ही डोंगे में औटा ठंडी करने रक्खी थी, कहीं जनाब उसी पे तो हाथ साफ़ नहीं कर रहे'..खीर और सुधीर का तो बहुत घातक combination है!! उन्हें मीठे के आगे अपनी डायबिटीज कहाँ दिखती है..वह दौड़ कर रसोई की तरफ लपकी.. सच में ही सुधीर के आगे खीर से लबालब प्लेट धरी थी और चम्मच भर मुह में ..चेहरे पर ऐसा सुख का भाव जैसे कोई बच्चा चोरी के अमरुद तोड़ खूब रस ले ले खा रहा हो.. उसे हंसी आ गयी.. भला किस मूंह से टोके उन्हें..चुपचाप कमरे में उलटे पैर लौट आयी..और वहीं से आवाज़ लगाई, "सुनो अपना इंजेक्शन (इन्सुलिन वाला) लगाना मत भूलना...Poonam Dogra

3 comments: